जश्ने ईद मीलादुन्नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम
क्या जश्ने ईद मीलादुन्नबी मनाना जायज़ है ?
अल्लाह और रसूल ने क्या हमें नहीं बताया के कौन-कौनसी ईद है इस्लाम में ?
नऊजुबिल्लाह ऐसा सोचना भी गुनाह है
क्या हम अपने आप को अल्लाह और रसूल से बड़ा मानते है की जो दिल ने चाहा वो करेंगे ?
किसी भी सहीह हदीस से मीलादुन्नबी साबित नहीं।
ये तीसरी ईद बिदअत है और बिदअत सीधे जहन्नुम ले जाती है।
मीलाद मननजायज़ नहीं क्यूंकि हमारे सहाबा ने नहीं मनाई और न हमारे सहाबा ने झंडे लगाये और न ही डी जे बजाये।
नोट - 12 रबीउल अव्वल का दिन प्यारे नबी की ज़िन्दगी में कही मर्तबा (63 साल) आया और ख़ुलफ़ाए राशिदीन में से
अबु बक़र र. अ. की खिलाफत में दो बार आया उमर र. अ. की खिलाफत में 10 बार,उस्मान र. अ. की खिलाफत में 12 बार और हज़रत अली र. अ. की खिलाफत में 4 बार आया।
क्या इनमे से किसी ने भी ईद मीलादुन्नबी मनाया। नहीं न !
तो जान ले की ये तीसरी ईद बिदअत है और हर बिदअत गुमराही है जिसका अंजाम जहन्नुम की आग है।
मैं सहमत हु के नबी से मुहब्बत का इजहार करना चाहिए। इसमें कोई शक नहीं होना चाहिए। और कसरत से दुरूदो सलाम पढ़ना चाहिए।
मगर क्या ये मुहब्बत का तरीका सही है की रोड,ब्लॉक करके लाउड स्पीकर पर म्यूजिक के साथ नाते पढ़ी जा रही है या शिरकिया कलिमात गए जा रहे है और झूमने के नाम पर डांस किया जा रहा है।
और जुबान पर हंसी-मजाक गालिया सब कुछ
वल्लाहु आलम बिस्सवाब !
आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से मुहब्बत का तकाज़ा यह है की उनकी तालीमात को आम करे
सहीह अहादीस से यह साबित नहीं जईफ अहादीस का इस्तेमाल न करे इनसे बचे यह सब जईफ रिवायत है झूट और मनगढ़ंत है।
इंशाअल्लाह आप इससे सबक लेंगे।

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